अमृतत्व

अमृतत्व वह अन्तःकरण का भाव है जो अनन्त रूप से आनन्द देने वाला है।

 

इस अमृतत्व भाव को समता का भाव भी कहा जाता है। इस भाव में स्थित होने को योग में स्थित होना भी कहा जाता है। इस अमृतत्व भाव में स्थित होने से मनुष्य को मृत्यु का भय भी नहीं रहता।

धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष

धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]

Read More

अध्याय